Saturday 27 June 2015

Curious case of 'leap second' : क्यों 1 सेकंड बड़ा होगा ये जून?

'1 सेकंड की कीमत तुम क्या जानो रमेश बाबु?''
बॉलीवुड के एक पोपुलर फिल्म के एक डायलॉग में हमलोग अगर थोड़ी छेड़ छाड़ कर दें तो यह लाइन लोगों को 'टाइम इज मनी' वाला ज्ञान दे सकती है. मगर करीब 7 अरब आबादी वाली इस दुनिया में कुछ ही लोग ऐसे हैं जो एक सेकंड की इम्पोर्टेंस समझ सकते हैं. और उनमे भी बहुत कम लोग ऐसे हैं जो एक सेकंड की इम्पोर्टेंस आपको समझा सकते हैं.
आजकल दुनियाभर के इन्ही कुछ गिने चुने लोगों में इस एक सेकंड की कीमत को लेकर बहस चल रही है.
अगर आपको पहले से पता हो तो बहुत अच्छी बात है, और अगर नहीं पता तो आज जानिये आखिर ये एक सेकंड को लेकर विवाद क्या है?

इस सेकंड को साइंस की भाषा में लीप सेकंड  कहते है. आपको पता होगा लीप इयर  क्या होता है?
जी हाँ, वही जो चार साल पे एक बार आता है. हमारी धरती 365 दिन और 6 घंटे में सूर्य का एक चक्कर लगाती है, जिसे हम एक साल गिनते हैं. ये 6 घंटे हर चार साल में एक दिन बनकर मॉडर्न ग्रेगोरियन कैलेंडर  में फरवरी के हिस्से आये 28 दिनों में जुट जाते हैं और वो साल लीप इयर  कहा जाता है.
आइये अब जानते हैं कि लीप सेकंड  क्या होता है?
सालों पहले 'इंटरनेशनल अर्थ रोटेशन सर्विस' की रिसर्च में पता चला कि हमारी धरती अब अपनी धुरी पर एक चक्कर लगाने में 2.3 मीलीसेकंड का समय ज्यादा ले रही है. यानी एक दिन में 86,400.002 सेकंड्स हो रहे हैं. (इसकी वजह धरती और चन्द्रमा के बीच लगने वाला ग्रेविटेशनल फ़ोर्स है.) जिसके बाद, इस अंतर के एक सेकंड पूरा होने पर इन्हें हमारी घड़ी में जोड़ने की परंपरा शुरू हुई. लेकिन इससे हमारी, आपकी घड़ी को कोई फर्क नहीं पड़ता. ये काम दुनिया में अलग अलग जगहों पर लगी करीब 400 एटॉमिक घड़ियों के साथ किया जाता है.
लीप सेकंड की शुरुआत के बाद धरती की रोटेशन में आये मीलीसेकंड्स के
बदलाव को दिखाता ग्राफ. इमेज सोर्स: UniverseToday
बर्न, स्विट्ज़रलैंड के मिट्रालजी ऑफिस में स्थित एक एटॉमिक घड़ी.
इमेज सोर्स: UniverseToday

इतिहास में लीप सेकंड
30 जून 1972 को पहली बार लीप सेकंड  जोड़ा गया था. तब से अब तक 25 सेकंड जोड़े जा चुके हैं. हर 18-24 महीने में एक बार इन्हें सुविधानुसार 30 जून या 31 दिसम्बर की रात को जोड़ा जाता है.
अब सवाल ये है कि जब इससे हमारी, आपकी घड़ियों को कोई फर्क नहीं पड़ता तो फिर इसपे बात क्यों?
इससे पहले आइये जानते हैं कि आखिर हमारे टाइम को नियंत्रित करने वाला सिस्टम क्या है?
आज से 200 साल पहले तक हमलोग समय की गणना 'Astronomical Observed Time' (UTI) के आधार पर करते थे. आज हमलोग इसके साथ ही साइंटिफिक और इलेक्ट्रॉनिक कैलकुलेशन्स के लिए 'कोऑर्डिनेटेड यूनिवर्सल टाइम' (UTC) यूज़ करते हैं. समय का SI मानक सेकंड है, जिसके अनुसार,
''सीज़ियम-133 एटम द्वारा अपने ग्राउंड स्टेट में  9,192,631,770 कम्पन में लगने वाले कुल समय को 1 SI सेकंड कहा जाता है."
ये एटॉमिक टाइम बहुत शुद्ध माना जाता है और कई सौ सालों तक एकदम सही समय बता सकता है. इसीसे 'इंटरनेशनल एटॉमिक टाइम' (TAI) बनाया गया है, UTC इसी सिस्टम पर आधारित है.
UTI में समय की गणना सूर्योदय और सूर्यास्त के आधार पर की जाती थी, जिससे सेकंड, मिनट और घंटा बने हैं. सूर्योदय और सूर्यास्त, धरती के अपनी धुरी पर एक चक्कर पूरा करने के अनुसार होते हैं. अब जैसा कि हम अपनी दिनचर्या को सूर्योदय और सूर्यास्त के हिसाब से ढाल चुके हैं तो धरती की गति में कोई भी परिवर्तन हमारे समय की सेटिंग को गड़बड़ कर सकता है.
तो असल में ये लीप सेकंड  UTC और UTI के बीच एक बैलेंस बनाकर रखता है.

हमारी आज की दुनिया बहुत हद तक कंप्यूटरों और अन्य इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन डिवाइसेज पर निर्भर है. ये सभी अपने टाइम सेटिंग के लिए 'नेटवर्क टाइम प्रोटोकाल' (NTP) का यूज़ करते हैं. NTP's 'इंटरनेशनल एटॉमिक टाइम' (TAI) के हिसाब से इन डिवाइसेज का समय सही रखते हैं.
साइंटिस्ट्स एटॉमिक घड़ियों में तो एक सेकंड जोड़ सकते हैं मगर हमारे अन्य यंत्रों में यह संभव नहीं है. इसी वजह से जब दुनिया भर की एटॉमिक घड़ियाँ 30 जून की रात 11:59:59 के बाद 11:59:60 का टाइम दिखाएंगी, अन्य डिजिटल घड़ियाँ ऐसा नहीं कर पाएंगी क्यूंकि उनकी प्रोग्रामिंग में ऐसा नहीं है. पिछली बार जब जून 2012 में ऐसा किया गया था तो 'मोजिला' और 'लिंक्डइन' जैसी वेबसाइट क्रैश हो गयी थीं. लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम और जावा लैंग्वेज वाले प्रोग्राम भी गड़बड़ हो गए थे. इस वजह से दुनिया भर में करोड़ों कंप्यूटर प्रभावित हुए थे साथ ही बैंकिंग सिस्टम, एयरलाइन्स ट्रैफिक कंट्रोल और जीपीएस आधारित ट्रांसपोर्ट सर्विस पर भी बुरा असर हुआ था.

फिलहाल दुनिया की बड़ी बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनियां इस समस्या का हल निकालने में लगी हुई हैं. उन की मेहनत कितनी सफल होती है ये तो 30 जून को ही पता चलेगा. सॉफ्टवेयर एक्सपर्ट्स की सबसे बड़ी प्रॉब्लम यह है कि इस एक सेकंड की वजह से कंप्यूटरों में हर बार कुछ नयी तरह की दिक्कतें सामने आ जाती हैं जिनका अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता है.
अमेरिका सहित कई देश इस लीप सेकंड  को ख़त्म करने की मांग कर चूके हैं मगर अन्य बहुत सारे देशों के विरोध की वजह से यह अबतक संभव नहीं हो सका है.
इसी नवंबर में जेनेवा में होनेवाले 'वर्ल्ड रेडियोकम्युनिकेशन कांफ्रेंस' में इस समस्या पर विचार होना है. वहां यह भी सोचा जाना है कि क्या दुनिया से  'Astronomical Observed Time' (UTI) को ख़त्म करके पूरी तरह से UTC या समय के SI सिस्टम को अपनाया जाए. मगर इसके भी अपने अलग खतरे हैं. इसलिए, फिलहाल तो लीप सेकंड का फ्यूचर सेफ है.
अगर हमलोग लीप सेकंड  जोड़ना हटा भी दें तो इससे यह समस्या बस कुछ सौ सालों के लिए टल जायेगी, ख़त्म नहीं होगी. तब हमें 2600 ईस्वी के आसपास लीप ऑवर  जोड़ना होगा. नहीं तो लगभग 10000 ईस्वी में लोग रात के 1 बजे सुबह का नाश्ता कर रहे होंगे.

Tuesday 23 June 2015

नरेंद्र मोदी एप्प: 7 things to know.

पत्रकार पांडे ब्लॉग में आज बात नरेन्द्र मोदी मोबाइल एप्प की. जी, ये एप्प इंडिया के अबतक के मोस्ट टेक-सैवी पीएम 'नरेन्द्र मोदी' ने हाल ही में लांच किया है. वजह: आम इंडियन से जुड़ने की पीएम की ख्वाहिश. अब देखना ये है कि एक नेक इरादे से उठाये गए इस कदम का लोगों को क्या फायदा मिलता है और गवर्नेंस में क्या चेंज आता है. फिलहाल तो 5 दिन में ही एक लाख से ज्यादा लोग इस एप्प को डाउनलोड कर चुके हैं. यूजर्स की ओर से इस एप्प को काफी अच्छा रिव्यु भी मिल चूका हैं.
एप्प लांच करते हुए मोदी. फोटो सोर्स: ट्विटर @narendramodi
आइये फिर 7 ऐसी खास बातें जानते हैं इस एप्प के बारे में कि क्यों ये आपके मोबाइल में भी होना चाहिए.

1  कूल यूजर इंटरफ़ेस
नरेन्द्र मोदी एप्प की एक बड़ी खास बात इसका सिंपल डिजाईन और ब्लू-वाइट कलर कॉम्बिनेशन है. स्टार्ट होते ही ब्लू बैकग्राउंड में मोदीजी का स्माइल करता फेस नज़र आता है. होमपेज सफ़ेद बैकग्राउंड में है जो एप्प को 'fresh & decent(सभ्य)' लुक देता है. ऊपर राईट कार्नर पर क्लिक करने पे मेन्यु खुलेगी जिसमे बहुत सारे आप्शन दिए गये हैं.



2  मोदी रिलेटेड न्यूज़ फीड
चाहे आप पीएम के सपोर्टर हों या क्रिटिक, उनके बारे में आप हमेशा जानना चाहेंगे. यहाँ आपको पीएम मोदी से जुडी सारी अपडेट्स मिलती रहेंगी. आप यहाँ से किसी भी स्टोरी को सोशल मीडिया, ईमेल, व्हाट्सएप्प के जरिये लोगों से शेयर कर सकते हैं.

3  पीएम से सीधा संवाद
‘Interact with PM' यही वो खास वजह है जिसके लिए इस एप्प को बनाया गया है. इस सेक्शन में आप पीएम की ओर से आनेवालें डायरेक्ट मेसेजेज को पढ़ सकते हैं और ईमेल से अपनी बात सीधे पीएम तक पहुंचा भी सकते हैं. अपने आईडियाज और सुझाव देने के लिए अलग से लिंक दिया गया है.

4  मन की बात
मोदीजी के फेमस रेडियो प्रोग्राम 'मन की बात' को यहाँ लाइव सुन सकते हैं. अब तक के सभी
'मन की बात' प्रोग्राम की रिकॉर्डिंग भी यहाँ मौजूद है. इस रेडियो प्रोग्राम को हिंदी, मैथिली और नेपाली सहित 30 भारतीय भाषाओँ में सुना जा सकता है.

5  टास्क और बैजेज अर्निंग (Badgej Earning)
एप्प की एक और खासियत इसके इंटरैक्टिव टू-डू फीचर्स हैं जो आपको अपनी प्रोफाइल के लिए अलग अलग तरह के बैज जीतने का मौका भी देते हैं. टास्क में दिए जाने वाले आर्टिकल्स को पढने, शेयर करने, कमेंट करने, विडियो देखने और पीएम को मेल लिखने जैसे कामों पर पॉइंट्स दिए जाते हैं. पॉइंट्स बढ़ने पर आप 'प्रो एक्टिव यूजर' से एक्सप्लोरर होते हुए 'सुपर फैन' तक भी बन सकते हैं.

6  इंफोग्राफ़िक्स
अगर आपको ग्राफिकल इंफो पसंद है तो इस सेक्शन में मोदी गवर्नमेंट के एक साल में किये गए कामों का स्टेटिस्टिकल डाटा भी उपलब्ध है.

7  पीएम की बायोग्राफी
लगभग हम सभी हमारे पीएम के बारे में बहुत कुछ जानते ही हैं, फिर भी बहुत लोग हैं जो अभी भी मोदीजी के बारे में जानना चाहते हैं. उनके लिए एप्प का यह पार्ट बहुत उपयोगी है. साथ ही मेन्यु में और भी बहुत सारे टॉपिक हैं जो पीएम मोदी से रिलेटेड बहुत तरह की इंफार्मेशन देते हैं. इनमें मोदी की पीएम के तौर पर दिए गए सभी स्पीच, मीडिया में उनके इंटरव्यूज, इंडिया और मोदी की बढती ग्लोबल इमेज पर विदेशी मीडिया की कवरेज, गवर्नेंस पर उनके व्यूज, ब्लॉग, मोदी के ऑफिशियल फेसबुक और ट्विटर एकाउंट्स से किये जानेवाले पोस्ट्स, ये सब आप एक ही जगह देख सकते हैं.

एप्प की सेटिंग्स पेज पर जाकर आप नोटिफिकेशंस को मैनेज कर सकते हैं. आप एप्प के कंटेंट के लिए इंग्लिश या हिंदी लैंग्वेज चुन सकते हैं. अगर आप इंग्लिश में एप्प को देख रहे हैं फिर भी मोदीजी की सभी स्पीच डिफ़ॉल्ट रूप से हिंदी में भी पढ़ सकते हैं.
एप्प में आप अपने सोशल मीडिया अकाउंट या नमो.इन अकाउंट से लॉग इन कर सकते हैं.

फिलहाल यह एप्प सिर्फ एंड्राइड स्मार्टफोन यूजर्स के लिए ही है. आप इसे गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं.

सभी फोटो सोर्स: पत्रकार पांडे ब्लॉग

Thursday 18 June 2015

25 जीत से ज्यादा 3 हार: यादगार

आज मीरपुर में इंडिया-बांग्लादेश वनडे सीरीज का पहला मैच स्टार्ट हो चूका है. बांग्लादेशी क्रिकेट फैन्स इसे 'बदले की सीरीज' जैसे देख रहे हैं. मार्च में हुए वर्ल्ड कप के क्वार्टर फाइनल मैच में रोहित शर्मा- नो बॉल  विवाद को लेकर बांग्लादेश में काफी हंगामा हुआ था. बांग्लादेशी ICC प्रेसिडेंट मुस्तफा कमाल ने इस्तीफा भी दे दिया था. दोनों टीमों ने अबतक 29 वनडे मैच खेले हैं. जिसमे 25 इंडिया और 3 बांग्लादेश ने जीते हैं.
इंडिया ने जितने भी मैच बांग्लादेश से जीते हैं, वो भले ही किसी को याद ना हो लेकिन जो 3 मैच बांग्लादेश ने जीते हैं वो इंडियन क्रिकेट फैन्स को हमेशा याद रहने वाले हैं.
आगे देखते हैं क्या हुआ था उन 3 मैचों में और कैसे टीम इंडिया हारी थी.

1 2004 में वैसे ही इंडियन टीम का परफॉरमेंस कुछ खास नहीं रहा था. इंग्लैंड में आईसीसी चैंपियंस ट्राफी और नैटवेस्ट सीरीज हारने के बाद इंडिया दिसम्बर में बांग्लादेश टूर पर गई थी. पहला वनडे इंडिया ने 15 रन से जीत लिया. ढाका में हुए दूसरे वनडे में पहले बैटिंग करते बांग्लादेश ने आफ़ताब अहमद के 67(98) और मशरफे मुर्तजा के 31(39) नॉटआउट की हेल्प से 50 ओवर में 229/9 का स्कोर बनाया. जवाब में टीम इंडिया एक बॉल पहले ही 214 पर आलआउट हो गयी. कप्तान सौरव गांगुली 22(42) के साथ ओपनिंग करने आये वीरेंदर सहवाग 0 बनाकर फर्स्ट ओवर में ही आउट हो गए. युवराज सिंह 4(8) भी चौथे ओवर में ही वापस हो गए. एस. श्रीराम 57(91) और मो. कैफ 49(56) ने थोड़ी कोशिश की लेकिन, ’फार्च्यून फेवर्स द ब्रेव’. मशरफे मुर्तजा की शानदार बोलिंग (9-2-36-2) के आगे सब ख़त्म.. बांग्लादेश की यह इंडिया के खिलाफ पहली जीत थी.
2  आईसीसी वर्ल्ड कप 2007. कौन सा ऐसा इंडियन क्रिकेट फैन होगा जो वेस्टइंडीज में खेले गए इस वर्ल्ड कप को भूल सकता है..!! राहुल द्रविड़ की कप्तानी वाली टीम इंडिया ग्रुप स्टेज के अपने पहले ही मैच में बांग्लादेश से हार गयी. सौरव गांगुली के 129 बॉल्स में 66 और युवराज सिंह के 47(58) रनों से टीम ने 49.3 ओवर में टोटल 191 रन बनाए. बांग्लादेश ने 49वें ओवर में 5 विकेट पर ही 192 रन बनाकर ये मैच जीत लिया. इसके बाद शुरू हुआ 'If's & But's' का सिलसिला.
सुपर 8 में पहुँचने के लिए इंडिया को बरमूडा और श्रीलंका दोनों से ही, बेहतर रन रेट से जीतना था. इसके बाद भी प्रेयर करनी थी कि बरमूडा बांग्लादेश को हरा दे. लेकिन ऐट द एंड.. ना इंडिया श्रीलंका से जीत सकी और बरमूडा तो..
उधर पकिस्तान भी अपने ग्रुप मैच में ही आयरलैंड से हारने की वजह से बाहर हो गया. इन दोनों टीमों के बाहर हो जाने से ICC और वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड बहुत नुकसान भी हुआ.

3 एशिया कप 2012 का चौथा मैच.
इंडिया वर्सेज बांग्लादेश
तारीख: 16 मार्च 2012.
वेन्यू: मीरपुर, बांग्लादेश
सचिन तेंदुलकर की 100th सेंचुरी. सचिन के एक एक रन पर मिठाईयां बांटने वाले उनके फैन्स की ख़ुशी सातवें आसमान पर थी. लेकिन 290 के टारगेट को चेज करते हुए बांग्लादेश ने 5 विकेट पर ही 293 रन बनाकर मैच जीत लिया. तमीम इकबाल 70 (99), जुहुरुल इस्लाम 53(68), नासिर होसैन 54(58) के बाद शाकीब अल हसन के 49(31) और कप्तान मुशफिकर रहीम के नॉटआउट 46 (25) ने इंडियन क्रिकेट फैन्स का दिल तोड़ दिया.

सभी फोटो सोर्स: ईएसपीएन क्रिकइंफो/ आईबीएन लाइव

Tuesday 16 June 2015

थैंक्यू ललित मोदी, टेस्ट चेंज करवाने के लिए.

सुनो..
ललित मोदी अच्छे आदमी हैं. उन्होंने इंडिया को आईपीएल जैसा नया फेस्टिवल दिया, जिसको हमलोग हर साल बड़े धूम धाम से अप्रैल-मई में मनाते हैं. वो बात अलग है कि इस ख़ुशी मे उन्होंने कुछ ज्यादा ही मिठाई खा ली और आजकल लंदन में बेड रेस्ट कर रहे है. उसी ‘खानेपीने’ के मैटर में ईडी उनको खोज रही है. तो क्या हुआ? खोज तो हमलोग दाऊद इब्राहीम को भी रहे हैं.

सुषमा जी भी अच्छी इंसान है. बहुत अच्छी नेता हैं. अच्छा बोलती हैं. बीजेपी में अच्छा बोलने वाले बहुत लोग हैं. कांग्रेस में भी कुछ लोग बहुत अच्छा बोलते हैं. हमलोग..आम जनता..अच्छा सुनते हैं. 67 साल से बहुत इत्मीनान से सबको सुनते आ रहे हैं.
खैर.. अब सुनो!
बांसुरी स्वराज लॉयर हैं. ऑक्सफ़ोर्ड में पढ़ी हैं. सुषमा जी की बेटी हैं. मोदीजी(ललित वाले!) के लिए बहुत बार कोर्ट कचहरी का चक्कर लगायी हैं. आखिर में मोदीजी(ललित वाले) का पासपोर्ट इशू करवा ही दिया. (डिस्क्लेमर: अब से इस आर्टिकल में 'मोदीजी' को 'ललित' ही समझा जाए. थैंक्यू) उस वक़्त तक सुषमाजी विदेश मंत्री बन चुकी थीं. तब किसी के पेट में दर्द नहीं हुआ. राहुल बाबा को भी खांसी नहीं आई. ईडी के लोग भी, जिन्हें कोर्ट के इस आर्डर के खिलाफ अपील करनी चाहिए थी वो उस वक़्त 'मोदी मैजिक' और 'कहानी अच्छे दिनों की' टाइप सपने देखने दिखाने में बिजी थे.

कीथ वाज हैं. लंदन में बड़े पावरफुल लीडर हैं. वो भी अच्छे इंसान ही होंगे !!
"ऐ ऐ रुको, इ कहाँ से बीच में आ गये? इ त लंदन के नेता हैं न. इनको साइड करो."
"ओके.."
"हाँ अब आगे बोलो.."
स्वराज कौशल हैं. ये भी लॉयर हैं. सुषमाजी के हसबैंड हैं. ये भी बहुत दिन तक मोदीजी को अपनी सर्विस दे चुके हैं.
"उ सब त ठीक है...लेकिन हम इ सुनके का करें. ऐसे ही देश में बहुत प्रॉब्लम है. गरीबी है, बेरोजगारी है, करप्शन है, किसान हैं.."
"चुपो, साले छोटे आदमी, कर दिए न छोटा बात. यही सब प्रॉब्लम लेके रोते रहते हो. देश आगे बढ़ रहा है.. दिखाई नहीं दे रहा है? कितना बड़ा बड़ा प्रॉब्लम सब है देश के सामने. मुसलमान योगा नहीं करना चाहते हैं..उनसे फरियाना है. पाकिस्तान एटम बम का धमकी दे रहा है, उसको गरियाना है. लोग कश्मीर को लेकर दुखी हैं. राम मंदिर बनवाना है, सलमान के जेल जाने का टेंशन है. एकरो से ज्यादा बड़ा प्रोब्लम है का तुम्हारा?"
"..."
आगे सुनो.
अरुण जेटली हैं. वो भी अच्छा बोलते हैं और करते भी हैं. ये सिंगल पर्सन हैं जो मोदीजी के अपोजिशन में हैं. उनकी रिपोर्ट पर ही बीसीसीआई से मोदीजी का ब्रेकअप हुआ था. आज वही फाइनेंस मिनिस्टर हैं. ईडी के बॉस हैं. वही ईडी जो मोदीजी को खोज रही है. और बीजेपी का बच्चा बच्चा जानता हैं कि जेटली अंकल और सुषमा आंटी के बीच 36 वाला मामला है.
"अब कुछ बात बुझाया?"
"न.."
"तुमको का बुझाएगा.. तुम बस बिजली पानी के लिए रोते रहो.."
देखो ये सब बड़े लोग हैं. इसलिए इनका प्रॉब्लम भी बड़ा है. बड़ा आदमी बनना है तो बड़े प्रॉब्लम के बारे में बात करो. ये सोचो कि सुषमा जी के हसबैंड और बेटी मोदीजी का केस क्यों लड़ रहे थे ये जानते हुए भी कि सुषमाजी एक नेशनल पार्टी की पावरफुल लीडर हैं जो कभी पीएम कैंडिडेट भी बन सकती हैं.
"हाँ.. अब जितना कहे उतना ही सोचना. 'क्वात्रोची और एंडरसन कैसे भाग गए, कौन भगा दिया?' इसके बारे में मत सोचने लगना."

थैंक्यू ललित मोदी. टेस्ट चेंज करवाने के लिए.
चलते चलते ये कार्टून भी..

फोटो सोर्स: इंडियन एक्सप्रेस/मंजुल

Monday 15 June 2015

फिल्म इंस्टिट्यूट का 'सरकारी' डायरेक्टर: 'युधिष्ठिर' पर 'महाभारत'

स्टूडेंट स्ट्राइक कोई नयी बात नहीं है अपने यहाँ. सभी छोटे बड़े स्कूल-कॉलेजेज और यूनिवर्सिटीज में किसी न किसी वजह से स्ट्राइक्स होती रहती है. पुणे के एक इंस्टिट्यूट में भी उसके चेयरमैन के अपॉइंटमेंट के लेकर आजकल स्ट्राइक चल रही है. और ये स्ट्राइक नेशनल न्यूज़ भी बन रही है. क्यूँ? क्यूंकि ये है पुणे स्थित प्रेस्टिजीयस और इंटरनेशनल फेम 'फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया' (एफटीआईआई) और इसके ताज़ा-तरीन अपॉइंटेड चेयरमैन है मि. गजेन्द्र चौहान.
सारी दुनिया इन्हें महाभारत  के 'युधिष्ठिर' के नाम से जानती है.

एफटीआईआई पुणे 'मिनिस्ट्री ऑफ इनफार्मेशन एंड ब्राडकास्टिंग' के अन्दर केंद्र सरकार की ऑटोनोमस बॉडी है. इस वजह से इंस्टिट्यूट के एडमिनिस्ट्रेशन और गवर्निंग बॉडी से रिलेटेड सारे फैसले आई एंड बी मिनिस्ट्री ही करती है. हाल ही में गजेन्द्र चौहान  को एफटीआईआई का नया चेयरमैन बनाया गया है. मगर उनके ऑफिस आने के पहले ही स्टूडेंट्स ने उनका विरोध शुरू कर दिया.



आइये अब जानते हैं इस सारे विवाद की असली वजह. मि. चौहान का 'क्लेम ऑफ फेम' सिर्फ महाभारत में उनके 'युधिष्ठिर' के रोल तक ही सीमित है. इसके अलावा करीब 22 फिल्मों और कुछ टीवी सीरियल्स में उन्होंने छोटे बड़े रोल्स किये हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि चौहान पिछले 20 सालों से बीजेपी से जुड़े हुए हैं. पिछले साल उन्होंने लोकसभा और हरियाणा असेंबली चुनावों में जमकर नरेन्द्र मोदी और बीजेपी के लिए कैंपेनिंग की थी. स्ट्राइक पर गए एफटीआईआई के स्टूडेंट्स का आरोप है कि उन्हें इसी बात का रिवॉर्ड दिया गया है. इस बार संभावित चेयरमैन की लिस्ट मेंश्याम बेनेगल, गुलज़ार, और अदूर गोपालकृष्णन  जैसे इंडस्ट्री के अनुभवी लोगों के नाम भी थे. इन सबके ऊपर चौहान को रखा जाना दिखाता है कि कैसे सेंट्रल गवर्नमेंट हर संभव जगहों पर अपने लोगों को सेट करना चाहती है. एफटीआईआई की गवर्निंग बॉडी के पूरे सिलेक्शन प्रोसेस को ही चैलेंज करते हुए इन स्टूडेंट्स का कहना है कि अभी जरुरत इस बात की है कि एफटीआईआई के एडमिनिस्ट्रेशन में ऐसे लोग हों जो आर्ट्स एंड सिनेमा की फील्ड से जुड़े हों, अपने 'एरिया ऑफ वर्क' में गहरा अनुभव रखते हों साथ ही अच्छी एकेडेमिक समझ वाले हों. ग्लोबल सिनेमा के इस दौर में उन्हें ऐसा चेयरमैन चाहिए जो फिल्ममेकिंग में आ रहे टेक्नोलॉजिकल चेंजेज से वाकिफ़ हो. गजेन्द्र चौहान इन पैरामीटर्स पर खरे नहीं उतरते, जबकि, उनसे पहले मृणाल सेन, गिरीश कर्नार्ड, यू. आर. अनंतमूर्ति और सईद अख्तर मिर्ज़ा  जैसे दिग्गज एफटीआईआई के चेयरमैन ऑफिस को अपनी सेवाएँ दे चुके हैं.


आई एंड बी मिनिस्ट्री में राज्यमंत्री मेजर राज्यवर्धन सिंह राठौड़  हमेशा की तरह इस स्ट्राइक को भी विपक्षी पार्टियों की साजिश बता चुके हैं. उनके अनुसार काबिल लोगों के होते हुए भी फिल्म इंस्टिट्यूट का स्तर दिन पर दिन गिरता जा रहा है, ऐसे में इस बार सरकार ऐसे किसी को अपॉइंट करना चाहती है जो अपना पूरा समय स्टूडेंट्स को दे सके. तो क्या मि. चौहान को अपॉइंट करने से पहले गुलज़ार और बेनेगल  से बात की गयी? इस बात की क्या गारंटी है कि चौहान अपने पुरे समय पुणे में ही रहेंगे? इन सवालों का कोई जवाब नहीं है.

सबसे बड़ा आरोप केंद्र सरकार पर ये लग रहा है कि एफटीआईआई के चेयरमैन के अपॉइंटमेंट के बहाने सरकार आईआईटीज और अन्य एकेडेमिक इंस्टिट्यूशन्स की तरह ही आर्ट्स और सिनेमा का भी सैफ्रोनाइजेशन करना चाह रही है. इस बार एफटीआईआई की गवर्निंग कौंसिल में राज कुमार हिरानी और विद्या बालन  सहित कुछ नये मेंबर्स को शामिल किया गया है. हैरानी की बात ये है कि इन नामों के साथ एक 'शैलेश गुप्ता' साहब भी हैं जिन्होंने यहीं से पढ़ाई भी की है और इनकी तारीफ़ ये है कि इन्होने 'शपथ मोदी की' और 'राम मंदिर' जैसी डॉक्यूमेंट्री फ़िल्में बनायी हैं.

इससे पहले पहलाज निहलानी  को सेंसर बोर्ड का चेयरमैन बनाया जा चूका है. उन्होंने ही बीजेपी के इलेक्शन कैंपेन में इस्तेमाल किये गए 'हर हर मोदी, घर घर मोदी' वाला एड बनाया था. हिंदी और इंग्लिश लैंग्वेज के करीब 30 गंदे शब्दों या गालियों के फिल्म या टीवी में इस्तेमाल करने से रोकने वाले अपने आदेश को लेकर निहलानी विवादों में भी आ चुके हैं. सेंसर बोर्ड के कई मेंबर्स ने उनके ऊपर 'औटोक्रेटिक' होने या हिटलरशाही चलाने का आरोप लगाया है. बीजेपी से ही जुड़े फिल्म और टीवी के फेमस एक्टर-प्रोड्यूसर मुकेश खन्ना को 'चिल्ड्रेन्स फिल्म सोसाइटी' का चेयरमैन बनाया गया है. साथ ही मलयालम फिल्मों के फेमस एक्टर और मोदी सपोर्टरसुरेश गोपी  को एनएफडीसी का हेड बनाए जाने की भी चर्चा है.
देखना है ये सिलसिला कब तक चलता है!
फिलहाल तो एफटीआईआई में स्टूडेंट्स ने क्लासेज, प्रैक्टिकल्स और अपने प्रोजेक्ट वर्क्स का बायकाट कर दिया है और अपनी मांगे माने जाने तक वापस लौटने से इनकार भी.
फोटो सोर्स: ftiistudentsbody.blogspot.com
चलते चलते ये कार्टून भी..



फोटो सोर्स: गूगल इमेज/ अजय ब्रह्मात्मज/ कार्टूनिस्ट मंजूल

Friday 12 June 2015

म्यांमार ऑपरेशन: कुछ बातें मेरी भी..

बहुत टेंशन वाली बात है.
कुछ लोग कह रहे हैं, इंडियन आर्मी ने म्यांमार में घुस के मारा. कुछ कह रहे हैं, नहीं मारा. सच क्या है ये तो आर्मी के लोग ही जानें. हमलोगों के मतलब की बात ये है कि अगर आर्मी ने म्यांमार में जाकर ही कोई ऑपरेशन किया तो भाई इतना हल्ला गुल्ला मचाने की क्या जरुरत है?
हमारी आर्मी की बहादुरी और काबिलियत पर किसी को कोई संदेह नहीं है, लेकिन...बात बुरी तब लगती है जब अपनी जान पर खेलकर दुश्मनों को ठिकाने लगानेवाली सेना के कामों का श्रेय मोदीजी के सर बाँधने की हरसंभव कोशिश की जाने लगती है. और इस काम में सरकार के मंत्री संतरी से लेकर सोशल मीडिया में बड़ी संख्या में उपस्थित पेड एक्टिविस्टों के साथ ही कुछ अवसरवादी मीडिया हाउसेज भी लगे हुए हैं.
‘मोदीजी की वजह से ही आर्मी ने ऐसा काम किया..’ इस बात की पब्लिसिटी कुछ ऐसे की जा रही है जैसे इंडियन आर्मी ने पहले कभी किसी बॉर्डर को क्रॉस करने की हिम्मत ही न दिखाई हो. ये लोग शायद भूल गए हैं कि कारगिल वॉर के अंत में भी हमारी बहादुर सेना पकिस्तान की बॉर्डर पर खड़ी थी और दिल्ली वाले सिग्नल के इन्तजार में थी. वो तो अचानक से वाजपेयीजी को ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की याद आ गयी वरना आज करांची और अमृतसर एक रंग के ही होते.
माना कि आर्मी को ऐसे ऑपरेशन अंजाम देने के आर्डर मोदीजी से ही मिले होंगे और बिना टॉप लेवल के पोलिटिकल कंसेंट के ऐसे कदम उठाना संभव भी नहीं है. मगर ये कोई एहसान नहीं किया है मोदीजी ने या बीजेपी ने, देश की जनता पर. जैसा की महान हिन्दू संस्कृति के रखवाले अपनी संस्कारी भाषा में कथित सिक्युलरों, खान्ग्रेसियों और प्रेस्टिट्युटो  को गालियाँ देते हुए बता रहे हैं. देश की जनता को सुरक्षित रहने का हक़ है, और इसलिए वो सरकार चुनती है.
                                     खैर, बात आज की.. इतना हो हल्ला मचाया इनलोगों ने कि जिस म्यांमार ने पहले ये कहा कि ‘सबकुछ आपसी सहमति से हुआ है’ उसने भी आखिर गुस्से में बात बदल दी और कह दिया कि ‘हमारी जमीन पर ऐसा कुछ नहीं हुआ है. इनलोगों ने अपने एरिया में ही सब किया है.’ कितनी शर्म की बात है, कोई आपको अपने घर में आकर आपके दुश्मन को मारने का मौका भी दे और आप मार्किट में कहते फिरें कि, ‘हमने तो उसके घर में घुस के मारा और सुन लो दुनियावालों, तुम्हारे घर में भी घुस के मारेंगे.’ बस..ले लिया बदला म्यांमार वालों ने. क्या खूब इज्ज़त उछाली है इंडिया की दुनिया के सामने..!!
अब एनएसए अजीत डोभाल  म्यांमार जायेंगे सोफरामाइसिन  लगाने.

बहुत अच्छी बात है कि सेना को फ्रीडम दी जा रही है ‘आँख का बदला आँख’ से लेने की. इससे इंडिया की ‘सॉफ्ट नेशन’ वाली इमेज बदलेगी. लेकिन ये भी ध्यान रखना होगा गवर्नमेंट को कि अपनी वाहवाही कराने के चक्कर में सेना के किसी कार्रवाई पर विवाद न हो. सभी जानते हैं कि अपने देश में भी बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो सेना को बदनाम करने के किसी भी मौके से पीछे नहीं हटते.

साथ ही एक और विवाद इन दो फोटोज को लेकर भी है जिन्हें ANI ने म्यांमार ऑपरेशन से रिलेटेड बताकर पोस्ट किया था.


बाद में सोशल मीडिया पर इन फोटोज के पुरानी होने की बातें सामने आई तो जहां ANI ने खुद आर्मी से ये फोटोज मिलने की बात कही वहीँ आर्मी स्पोक्सपर्सन ने सेना या सरकार द्वारा इस ऑपरेशन से रिलेटेड किसी भी फोटो, वीडियो के जारी किये जाने से इनकार कर दिया.
गूगल सर्च करने पर एक फोटो की कुछ दूसरी ही कहानी सामने आई.


उम्मीद है.. सरकार इन घटनाओं से कुछ सबक लेगी और आगे से ऐसी बातों को मीडिया में लाने से पहले
थोडा संयम बरतेगी.

चलते चलते ये कार्टून भी..

सभी फोटो सोर्स: गूगल इमेज/एचटी मीडिया/फेसबुक

Saturday 6 June 2015

सीआईडी, साथ निभाना.. सुर्यवंशम भी होंगे बैन.

मैगी पर लगे ताज़ा बैन के बाद पत्रकार पांडे बता रहे हैं वो चीजें जिनको गवर्नमेंट को जल्द से जल्द बैन करना चाहिए.

1. सी आई डी
       बड़ी संख्या में बेरोजगारी की एक वजह ये लोग भी हैं. ऊपर से इनके स्टुपिड डायलाग्स. उफ्फ :)
                                   
2. साथ निभाना..साथिया
        फैमिली ड्रामा डेली सोप...सिंगल टीवी वाले घरों में युवाओं का सबसे बड़ा दुश्मन


 3. सुर्यवंशम
        'इश्क वाला लव' लगता है सेट मैक्स और सुर्यवंशम का. रियली मम्मी कसम :p

4. कमाल आर. खान
        जितनी नफरत बीजेपी को केजरीवाल से नहीं है, उससे ज्यादा लोगों को कमाल खान से है.

5. पब्लिक प्लेस में सू सू
        इस तरह एक साथ खड़े होकर... लोगों में 'दूसरी टाइप की फीलिंग' आ सकती है. :D

6. सेल्फी
       कुछ लोगों की सेल्फी देखकर अपने बाल नोच लेने का मन करता है.

7. हम इंडियंस के फोन पर बतियाने का स्टाइल
       कुछ लोग तो फ़ोन पर ऐसे बात करते हैं कि सामनेवाले के कान के 'इयर ड्रम' की बैंड बज जाती है.

8. स्लीपर क्लास में चाइनीज फोन पर म्यूजिक बजाना.
        वो भी ऐसे ऐसे 'दर्द भरे नगमे' जैसे इन्ही की गर्लफ्रेंड की शादी सलमान से होनेवाली हो.



last but not d least

9. साजिद खान की मूवीज
         डेढ़-दो करोड़ वोट मोदीजी के तो पक्के..


  सभी फोटो सोर्स: गूगल इमेज