Monday 15 June 2015

फिल्म इंस्टिट्यूट का 'सरकारी' डायरेक्टर: 'युधिष्ठिर' पर 'महाभारत'

स्टूडेंट स्ट्राइक कोई नयी बात नहीं है अपने यहाँ. सभी छोटे बड़े स्कूल-कॉलेजेज और यूनिवर्सिटीज में किसी न किसी वजह से स्ट्राइक्स होती रहती है. पुणे के एक इंस्टिट्यूट में भी उसके चेयरमैन के अपॉइंटमेंट के लेकर आजकल स्ट्राइक चल रही है. और ये स्ट्राइक नेशनल न्यूज़ भी बन रही है. क्यूँ? क्यूंकि ये है पुणे स्थित प्रेस्टिजीयस और इंटरनेशनल फेम 'फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया' (एफटीआईआई) और इसके ताज़ा-तरीन अपॉइंटेड चेयरमैन है मि. गजेन्द्र चौहान.
सारी दुनिया इन्हें महाभारत  के 'युधिष्ठिर' के नाम से जानती है.

एफटीआईआई पुणे 'मिनिस्ट्री ऑफ इनफार्मेशन एंड ब्राडकास्टिंग' के अन्दर केंद्र सरकार की ऑटोनोमस बॉडी है. इस वजह से इंस्टिट्यूट के एडमिनिस्ट्रेशन और गवर्निंग बॉडी से रिलेटेड सारे फैसले आई एंड बी मिनिस्ट्री ही करती है. हाल ही में गजेन्द्र चौहान  को एफटीआईआई का नया चेयरमैन बनाया गया है. मगर उनके ऑफिस आने के पहले ही स्टूडेंट्स ने उनका विरोध शुरू कर दिया.



आइये अब जानते हैं इस सारे विवाद की असली वजह. मि. चौहान का 'क्लेम ऑफ फेम' सिर्फ महाभारत में उनके 'युधिष्ठिर' के रोल तक ही सीमित है. इसके अलावा करीब 22 फिल्मों और कुछ टीवी सीरियल्स में उन्होंने छोटे बड़े रोल्स किये हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि चौहान पिछले 20 सालों से बीजेपी से जुड़े हुए हैं. पिछले साल उन्होंने लोकसभा और हरियाणा असेंबली चुनावों में जमकर नरेन्द्र मोदी और बीजेपी के लिए कैंपेनिंग की थी. स्ट्राइक पर गए एफटीआईआई के स्टूडेंट्स का आरोप है कि उन्हें इसी बात का रिवॉर्ड दिया गया है. इस बार संभावित चेयरमैन की लिस्ट मेंश्याम बेनेगल, गुलज़ार, और अदूर गोपालकृष्णन  जैसे इंडस्ट्री के अनुभवी लोगों के नाम भी थे. इन सबके ऊपर चौहान को रखा जाना दिखाता है कि कैसे सेंट्रल गवर्नमेंट हर संभव जगहों पर अपने लोगों को सेट करना चाहती है. एफटीआईआई की गवर्निंग बॉडी के पूरे सिलेक्शन प्रोसेस को ही चैलेंज करते हुए इन स्टूडेंट्स का कहना है कि अभी जरुरत इस बात की है कि एफटीआईआई के एडमिनिस्ट्रेशन में ऐसे लोग हों जो आर्ट्स एंड सिनेमा की फील्ड से जुड़े हों, अपने 'एरिया ऑफ वर्क' में गहरा अनुभव रखते हों साथ ही अच्छी एकेडेमिक समझ वाले हों. ग्लोबल सिनेमा के इस दौर में उन्हें ऐसा चेयरमैन चाहिए जो फिल्ममेकिंग में आ रहे टेक्नोलॉजिकल चेंजेज से वाकिफ़ हो. गजेन्द्र चौहान इन पैरामीटर्स पर खरे नहीं उतरते, जबकि, उनसे पहले मृणाल सेन, गिरीश कर्नार्ड, यू. आर. अनंतमूर्ति और सईद अख्तर मिर्ज़ा  जैसे दिग्गज एफटीआईआई के चेयरमैन ऑफिस को अपनी सेवाएँ दे चुके हैं.


आई एंड बी मिनिस्ट्री में राज्यमंत्री मेजर राज्यवर्धन सिंह राठौड़  हमेशा की तरह इस स्ट्राइक को भी विपक्षी पार्टियों की साजिश बता चुके हैं. उनके अनुसार काबिल लोगों के होते हुए भी फिल्म इंस्टिट्यूट का स्तर दिन पर दिन गिरता जा रहा है, ऐसे में इस बार सरकार ऐसे किसी को अपॉइंट करना चाहती है जो अपना पूरा समय स्टूडेंट्स को दे सके. तो क्या मि. चौहान को अपॉइंट करने से पहले गुलज़ार और बेनेगल  से बात की गयी? इस बात की क्या गारंटी है कि चौहान अपने पुरे समय पुणे में ही रहेंगे? इन सवालों का कोई जवाब नहीं है.

सबसे बड़ा आरोप केंद्र सरकार पर ये लग रहा है कि एफटीआईआई के चेयरमैन के अपॉइंटमेंट के बहाने सरकार आईआईटीज और अन्य एकेडेमिक इंस्टिट्यूशन्स की तरह ही आर्ट्स और सिनेमा का भी सैफ्रोनाइजेशन करना चाह रही है. इस बार एफटीआईआई की गवर्निंग कौंसिल में राज कुमार हिरानी और विद्या बालन  सहित कुछ नये मेंबर्स को शामिल किया गया है. हैरानी की बात ये है कि इन नामों के साथ एक 'शैलेश गुप्ता' साहब भी हैं जिन्होंने यहीं से पढ़ाई भी की है और इनकी तारीफ़ ये है कि इन्होने 'शपथ मोदी की' और 'राम मंदिर' जैसी डॉक्यूमेंट्री फ़िल्में बनायी हैं.

इससे पहले पहलाज निहलानी  को सेंसर बोर्ड का चेयरमैन बनाया जा चूका है. उन्होंने ही बीजेपी के इलेक्शन कैंपेन में इस्तेमाल किये गए 'हर हर मोदी, घर घर मोदी' वाला एड बनाया था. हिंदी और इंग्लिश लैंग्वेज के करीब 30 गंदे शब्दों या गालियों के फिल्म या टीवी में इस्तेमाल करने से रोकने वाले अपने आदेश को लेकर निहलानी विवादों में भी आ चुके हैं. सेंसर बोर्ड के कई मेंबर्स ने उनके ऊपर 'औटोक्रेटिक' होने या हिटलरशाही चलाने का आरोप लगाया है. बीजेपी से ही जुड़े फिल्म और टीवी के फेमस एक्टर-प्रोड्यूसर मुकेश खन्ना को 'चिल्ड्रेन्स फिल्म सोसाइटी' का चेयरमैन बनाया गया है. साथ ही मलयालम फिल्मों के फेमस एक्टर और मोदी सपोर्टरसुरेश गोपी  को एनएफडीसी का हेड बनाए जाने की भी चर्चा है.
देखना है ये सिलसिला कब तक चलता है!
फिलहाल तो एफटीआईआई में स्टूडेंट्स ने क्लासेज, प्रैक्टिकल्स और अपने प्रोजेक्ट वर्क्स का बायकाट कर दिया है और अपनी मांगे माने जाने तक वापस लौटने से इनकार भी.
फोटो सोर्स: ftiistudentsbody.blogspot.com
चलते चलते ये कार्टून भी..



फोटो सोर्स: गूगल इमेज/ अजय ब्रह्मात्मज/ कार्टूनिस्ट मंजूल

2 comments:

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  2. Well written Anjani Pandey! we are eventually going to win this war.
    http://yourrightisyourmight.blogspot.in/2015/07/arun-jaitley-appointed-ineligible.html

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